आज का भजन लिरिक्स हमारा Aisa Damru Bajaya Bholenath Ne Lyrics के बारे में है। जो हंसराज रघुवंशी ने गाया है। उनकी शिव के प्रति अति प्रेम और भजन गाते है। हर महा नया गीत लेके आते है। और शिव जी के उपर उन्होंने बोहत सारे सॉंग लिखे है जो की लाखों जानता उन्हें सुनती है और उनके भजन को गाती है। अगर आप shiv ji bhajan lyrics dhundh रहे थे तो ये पोस्ट आप लिए है। आप इसमें शिव जी के भजन पढ़ेंगे।
Bhajan lyrics : karpur gauram karunavtaram lyrics in hindi
Aisa Damru Bajaya Bholenath Ne Lyrics
मैं हिमाचल की बेटी
मेरा भोला बसे काशी
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
बनकर तेरी दासी
शंभु
शिव शिव शिव शिव शंभु
शिव शिव शिव शिव शंभु
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।।
बम-बम, बम-बम
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
बम-बम, बम-बम
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
कान्हा जी आए संग राधा भी आए
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
कान्हा जी आए संग राधा भी आए
बम-बम, बम-बम
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
डमरू को सुनकर जी गणपति चले हैं
डमरू को सुनकर जी गणपति चले
गणपति चले संग कार्तिक चले
गणपति चले संग कार्तिक चले
महा अम्बे का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
डमरू को सुनकर जी रामा जी आए ।।
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी रामा जी आए
रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए ।।
मैया सिता का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले ।।
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।।
डमरू को सुनकर जी गंगा चले
गंगा चले वहाँ यमुना चले
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी गंगा चल
गंगा चले वहाँ यमुना चले ।।
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
डमरू को सुनकर जी सूरज चले
सूरज चले वहाँ चंदा चले ।।
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी सूरज चले
सूरज चले वहाँ चंदा चले
सारे तारों का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ।।।
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